रेलवे अधिनियम की आवश्यकता
भारत की अर्थव्यवस्था में भारतीय रेलवे का बहुत बड़ा योगदान है. बड़ी संगठन होने के कारण इसे सुचारु रूप से चलाने में बहुत सी चुनौतियाँ का सामना करना पड़ता है. किसी भी संघठन को नागरिकों के अधिकाधिक उपयोगी एवं मददगार बनाने के लिए नियम की आवश्यकता होती है जो दोनों के बीच कड़ी का काम करता है. इससे दोनों को लाभ है.
भारतीय रेलवे में भी रोजमर्रा की असुविधाओं, चुनौतियों से भली भांति निपटने के लिए अधिनियम बनाया गया है, जिसका नाम भारतीय रेलवे अधिनियम 1989 रखा गया है. इस अधिनियम में सभी प्रकार की बातों को ध्यान में रख कर धाराओं का निर्माण किया गया है. भारतीय रेलवे अधिनियम 1989 (Indian Railway Act 1989) की कुछ महत्वपूर्ण धाराएँ निम्न प्रकार है –
- धारा 67 – कोई भी व्यक्ति स्टेशन परिसर में स्टेशन प्रबंधक के अनुमति के बिना खतरनाक या आपत्तिजनक सामान नहीं ला सकता है। खतरनाक या आपत्तिजनक सामान की बुकिंग के लिए स्टेशन प्रबंधक को अग्रिम सूचना दी जानी चाहिए ।
- धारा 137 – बिना टिकट या उचित pass के बिना या कपटपूर्ण/धोखे से यात्रा करने के प्रयास करते हुए पकड़े जाने पर 1000 रू जुर्माना या 6 माह का कारावास या दोनों हो सकता है. इस प्रकार के अपराध के लिए न्यूनतम जुर्माना 500 रु. होगा।